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फ्यूल डिमांड में सबसे आगे रहेगा भारत, रोजाना 67 लाख बैरल क्रूड ऑयल की होगी जरूरत
इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इस दशक के उत्तरार्ध में भारत में ऑयल की डिमांड तेजी से बढ़ेगी. 2023 में कच्चे तेल की मांग 54 लाख बैरल रोजाना है जो 2030 तक 67 लाख बैरल रोजाना पर पहुंच जाएगी.
अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) ने बुधवार को कहा कि दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक और उपभोक्ता भारत इस दशक के उत्तरार्ध में वैश्विक तेल मांग में अग्रणी बन जाएगा. एजेंसी ने 2023 और 2030 के बीच खपत में 13 लाख बैरल की भारी वृद्धि का अनुमान लगाया है. पेरिस मुख्यालय वाली निगरानी एजेंसी ने अपनी ‘ऑयल 2024 रिपोर्ट’ में कहा कि अनुमान है कि 2023 और 2030 के बीच भारत की तेल मांग चीन के अलावा किसी भी अन्य देश की तुलना में अधिक बढ़ेगी.
67 लाख बैरल रोजाना तेल की होगी डिमांड
भारत की कच्चे तेल की मांग 2023 में 54 लाख बैरल प्रति दिन (BPD) से बढ़कर 2030 तक 67 लाख BPD हो जाने का अनुमान है. यह 3.2 फीसदी या 13 लाख BPD की वृद्धि है. रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘असामान्य रूप से, वैश्विक संदर्भ में 13 लाख BPD से अधिक की वृद्धि में सबसे ज्यादा योगदान सड़क परिवहन ईंधन की बढ़ती मांग का होगा. इसमें पेट्रोरसायन फीडस्टॉक्स का अपेक्षाकृत कम योगदान होगा और अंतर्निहित वृद्धि स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों की तैनाती से काफी आगे निकल जाएगी.
2029 में चरम पर पहुंच जाएगी ऑयल डिमांड
इसमें कहा गया, 2025 और 2030 के बीच भारत की तेल मांग में नौ लाख BPD की वृद्धि होगी, जो चीन की 5.7 लाख BPD की मांग वृद्धि से काफी अधिक है. विश्व के लिए, IEA ने पूर्वानुमान लगाया है कि तेल की मांग 2029 तक चरम पर पहुंच जाएगी तथा उससे अगले वर्ष इसमें कमी आनी शुरू हो जाएगी. भारत में तेल की मांग में वृद्धि मुख्य रूप से तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के कारण है. भारत 2024 में लगातार तीसरे वर्ष दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बनने के लिए तैयार है.
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